जैव विविधता समाप्त हो रही है चीड़ बांज के साथ साथ काफल, किलमोड़ा, पत्थरचट्टा, हिमालु, देवदार, एबीज, पेयोनिंग, एकोलिप्टिस, शीशम हल्दू जामुन इत्यादि जैसे पेड़ नष्ट हो रहे हैं, वातावरण भी दूषित हो रहा है। कार्बन की मात्रा बढ़ रही है और प्रदूषक गैसों का उत्पादन बढ़ा है। तापक्रम में भी वृद्धि हुई है। उत्तराखंड में 4700 आवृतबीजी पौधों की प्रजातियां है जिसमे से 701 औषधीय पौधे है।
हिमालयी क्षेत्र में 1700 जैव विविधता की प्रजातियां है। वातावरण में बढ़ने से भूमि को भी नुकसान पहुंचा है। जल नजूल भी प्रभावित हो रहा है।खुर्पाताल और ठंडी सड़क में लगी आग ये साबित करती है। आग पर तुरंत काबू करने के लिए हैलीकॉप्टर द्वारा आग बुझाने का कार्य शुरू होना चाहिए।
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